आंसू


 मयूर  सुवरण, कलानिधि दिलकाश। 

सोवत इक्शाना भीतर भाग वाः ।  

गद्दा भरीजे कीलालं । 

कण्ठस्थ भीतर राखे बृहत्काय एजा। 

मानो बनावे झंझावात।

 उत्रिद्रता भरी जावे रैन। तक्रीर करे कीस्यूँ। 

मुन्सिफाना रवान आंसू  । 

रात्रि जावे। 

पाछे तबस्सुम भरे। 

मस्नोई।। 

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